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Sunday, April 4, 2021

कुछ खोकर पाना है

जो अपने लिये रब से मांगकर लाता हूं 
वो भी शकल देखकर किसी जरुरतमंद को दे देता हूँ,

जब भी उठाता हूँ शब्द हाथों को, 
हर पिछली कहानी की तरह
अपना सब कुछ किसी मेहरबां को दे देता हूँ..

ख़ुद को कर देता हूँ तूफ़ान के हवाले अक्सर
जाते जाते अपना मुकद्दर भी अंजाने मांझी को सुपुर्द कर देता हूँ ।।

-अरुण अभ्युदय शर्मा
#arunaksarun

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