दो तरह के स्टेटस सोशल मीडिया पर चल रहे हैं
एक वो जो कह रहे हैं हिम्मत रखों, फाइट करो, इस रात की जल्द ही सुबह होगी, सब ठीक होगा, ख़ान पान का ध्यान रखो, सकरात्मकता वाले जो हर रोज़ कुआं खोदने निकलते हैं और रोज पानी पीते हैं, उनके लिए जिंदगी आसान नहीं है पर आगे बढ़ने की उम्मीद उनमें हमेशा बनी हुई है, हम होंगे कामयाब वाले असली खालिस हीरो जो कभी नहीं थकते, बचपन से ही जुझारू और अपनी किस्मत खुद बदलने वाले
और
दूसरे वह है जो बिस्तर में पड़े हुए भायं भायं कर रहे हैं कि इलाज़ नहीं हो रहा, सरकार फेल हो गई, दवाई नहीं मिल रही, लोग मर रहे हैं, शमशान भर गये है, नकारात्मकता वाले -आई फोन,पैड वाले छेनु टाईप निठल्ले, ४०-४५ साल वाले जनमु टाइप सैल्फ डिक्लेयर युवा छात्र- मल्टीपल लहसुन प्याज जैसी डिग्री वाले, जिनका ईकोसिस्टम जिंदा लोगों से नहीं बल्कि सामूहिक मौतों से जुड़ता है उन्हें सच में वायरस का ज्यादा ख़तरा है क्योंकि उनके अंदर की नकारात्मकता उनके body system को खोखला कर चुकी हैं। उस किस्म के खैराती, मुफ्तखोरी से जुड़े अर्थ🔔शास्त्रियों का ध्यान रखना है,
याद रखें हमें बीमार से नहीं बल्कि बीमारी से लड़ना है।
-अरुण अभ्युदय शर्मा
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