जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
"अशोक वन में देख के पीड़ा सीता की
हनुमान को भी घोर कष्ट हुआ।
इसी कारण निरंकुश पापी रावण का साम्राज्य भ्रष्ट हुआ
छीनकर लंका कुबेर से अपने में तो अति संतुष्ट हुआ
अंहकार खा गया लंका को
अंत में बचा-खुचा सम्मान भी नष्ट हुआ।"
-अरुण अभ्युदय शर्मा
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