Wednesday, November 3, 2021

दीपावली और भारत

 दीपावली  संध्या पर्व पर विशेष बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं

दीपावली और भारत

जीवन में सकारात्मक परिवर्तन एक अच्छी सोच है, सनातन धर्म और संस्कृति पहले से ही इस विचारधारा की पक्षधर रही हैं। हमारे बहुत सारे रीति-रिवाजों को हमने इसलिए तिलांजलि दे दी चूंकि वह समय के साथ गौण हो गये। 
पर जब हमारी इसी विचारधारा का प्रयोग जब समय के साथ हमारे शत्रुओं ने हमें मिटाने के लिए करना चाहा तो हम धीरे-धीरे अब अडिग होना सीख गये। हमें अपने ही जीवन शैली पर शर्मिंदा करना शुरू किया और। हमें पुरातनपंथी और पागान घोषित किया गया तो हमने भी अपनी जड़ों को नष्ट होने से बचाने के लिए सनातनी भारत को धार्मिक परम्पराओं से जोड़ दिया और ऐसा करना आवश्यक भी था। 

जब कोई जीवन दांव पर लगाने वाला कार्य नियंत्रित वातावरण में किया जाता है तो वह रोमांचकारी अनुभव बन जाता है, विस्फोटक सामग्री का प्रयोग पहले युद्ध में शत्रुओं की नाक में नकेल कसने के लिए किया जाता था फिर समय के साथ यह नियंत्रित ढंग से करने से खेल और रोमांचक गतिविधियों का हिस्सा बन गया और हर्ष व्यक्त करने में सक्षम हो गया। पटाखे इसी प्रकार हमारे जीवन और समाज का हिस्सा बने और दीपावली पर्व का आयोजन से जुड़े। 

वातावरण और प्रकृति से जितना भारतीय समाज और धार्मिक परम्पराऐं जुड़ी हुई हैं, उतना जुड़ाव किसी और समाज के संदर्भ में नहीं देखा जाता है। सनातन धर्म और संस्कृति पहले से ही कण कण में भगवान का अंश अनुभव करती हैं और सृष्टि में व्याप्त सभी के प्रति अनुराग और सम्मान भाव रखती हैं। जनसंख्या बढ़ने के साथ साथ संसाधनों के दोहन करने से परिस्थिति बदल गयी है, मौसमी प्रभाव इसका जीता जागता उदाहरण है। हम सबको पर्यावरण संरक्षण पर कार्य करना चाहिए पर केवल त्यौहार विशेष को कुछ  ngo type organization और राजनीतिक दलों द्वारा निशाने पर लेने से नीयत पर संदेह उठ जाते हैं। प्रदूषण नियंत्रण केवल पटाखों के बंद होने से नियंत्रित हो सकता है, यह एक हास्य-व्यंग्य के अलावा कुछ और नहीं बल्कि रोष का विषय बन गया है। आज भी पराली जलने के विभिन्न उदाहरण सामने आते रहते हैं, औद्योगिक क्षेत्र में इस पर बहुत कार्य होना है, clean energy sources का प्रयोग, वृक्षारोपण, Rainy water preservation and dripping water irrigation technology, प्रकृति संरक्षण पर अटल नियम और क़ानून और उनका सख्ती से पालन करना होगा। तभी पटाखों के प्रयोग पर सभी लोग स्वैच्छिक रूप से जाग्रत हो कर जुड़े रहेंगे और उसके लिए विशेष पर्व पर प्रतिबंध नहीं बल्कि समान नीति से तय करना होगा। सभी NGO's पैट्रोल और डीजल वाले वाहनों को छोड़कर पैदल यात्रा और साइकिल यात्रा पर फोकस करें, अपने आफिस में से AC हटा दें, इसके अतिरिक्त अभिभावकों को भी चाहिए कि वह अपने बच्चों को प्रसन्न करने हेतु महीने में कम है कम 15 दिन कच्चा भोजन जैसे कि फल, सलाद, सब्जियां और ऐसा खाना खाते जिसे उन्हें अग्नि पर पकाने की आवश्यकता न हो और वातावरण की रक्षा करी जा सके। वह सब अगले 15 दिन अपने वाहनों को प्रयोग न करें और पैदल चलने में और साइकिल यात्रा में विश्वास रखें जिससे वातावरण और प्रकृति की रक्षा हो। कूड़ा जलाना बंद कर दें। इस प्रकार के प्रयासों से बच्चे अपनी दीपावली भी अपने मन से मना सकेंगे और पर्यावरण संरक्षण भी अच्छे से होगा।

 दीपावली  संध्या पर्व पर विशेष बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं..
-अरुण अभ्युदय शर्मा
#arunaksarun

1 comment:

Atul Saini said...

Absolutely right 🙏🙏