"राम रामेति रामेति"
कागज़ के पन्नों से मंदिर नहीं बनते,
रास्तों को रोकने से पहाड़ नहीं पनपते,
तूफानी नदी का रास्ता रोकने से सागर नहीं बनते,
हर कदम संघर्ष करते रहो,
उफनते सागर पर पुल बनाते रहो,
हार कर पुनः बारंबार
खड़े होते रहो इस अंतहीन जीवन में,
क्योंकि "अक्स" ऐसे ही बिना वनवास जाये हर कोई राम, राम नहीं बनते,
वैसे ही सती के विरह वेदना के बिना शिव , सत्य शिव न बनते ,
शिव, सत्य शिव न बनते।।
ऊं नमः शिवाय
-अरुण अभ्युदय शर्मा
#arunaksarun
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