"अहम् शिवास्मि"
तुमसे अलग नहीं हूं मैं,
तुम्हारी तरह ही सांस लेता हूं मैं,
तुम्हारी तरह ही पीड़ा महसूस करता हूं मैं,
तुम्हारी तरह ही थक जाता हूं मैं,
रोज तुम्हारी तरह ही मरता हूं मैं
और फिर अगली सुबह नये जीवन के लिए प्रेरित होता हूं मैं,
पर अब उदित हुआ तो,
" अक्स" मैं, मैं न था, तुम, तुम न थे,
हम दोनों के बीच दूरी अब न थी,
इस मैं को मिटाया है
अब तुम्हारी बारी है
बांध सको तो बांध लो
हम अब दूर नहीं है।।
-अरुण अभ्युदय शर्मा
#arunaksarun
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