३००० वर्ष पहले जब हमारे पूर्वज शिकारियों और खानाबदोशों का जीवन व्यतीत करते थे तो उन्हें प्रत्येक दिन जंगलों में यह जानकारी होने के बावजूद कि जंगल एक अज्ञात खतरों से भरा क्षेत्र हैं, वन्य जीव जंतु उन्हें अपना भोजन बनाने के लिए मार सकते हैं, घायल कर सकते हैं, भोजन और अन्य आवश्यकताओं जैसे शहद, ईंधन, पोषण आहार को पूरा करने के लिए जाना पड़ता था क्योंकि उनके पास कोई और पर्याय नहीं था। प्रत्येक व्यक्ति को जीवित रहने के लिए भोजन की व्यवस्था करनी पड़ती थी और यही आधारभूत प्रश्न सबसे सामने था।
वह सब विशेष तौर पर सावधान और किसी भी जान जोखिम वाली स्थिति, आपदा और अपने आप को बचाने के लिए हमेशा तैयार रहते थे । वर्तमान समय में हमारे सामने भी ऐसी परिस्थिति है और एक वायरस बाहर हमें लापरवाह पाते ही हमारा अंत करने के लिए हमारी प्रतीक्षा कर रहा है तो अब हमारे सामने यक्ष प्रश्न है कि क्या हम घर के अंदर रहें और अर्थव्यवस्था को बंद कर दें और वायरस के शांत होने की प्रतीक्षा करें अन्यथा हम अपने अनुभव से सीखते हुए अपने आप को सावधान और सतर्क, शारारिक क्षमताओं को पोषक तत्वों से शक्तिशाली बनाते हुए वायरस से युद्ध कर उसे परास्त करें।
लाकडाउन अथवा जनता कर्फ्यू वर्तमान समय में महामारी से संघर्ष करने का सही तरीका नहीं है। हां, यह २०२० में था जब इसे इसलिए लागू किया गया था क्योंकि हम इस प्रकार की परिस्थितियों के लिए तैयार नहीं थे। लाकडाउन का उद्देश्य उस समय हमें ऐसी विषम परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार करना, अनुशासित करना और परिवर्तित परिस्थितियों के अनुरूप नये जीवन पद्धति के अनुसार ढालना था। मास्क पहनना, सामाजिक दूरी रखना, जन समूहों से बचना, पोषित आहार, घर पर ज्यादा समय रुकना, परिवार और निकटतम परिजनों के साथ समय व्यतीत करना, योग करना, शारारिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए नियमित अभ्यास, ध्यान करना ठीक प्रकार से अपने को सुरक्षित और स्वस्थ रखना यह सब आवश्यक हो गये थे।
जिन्होंने यह सीख लिया है और इसका नियम अपने जीवन में उतार लिया और लापरवाही छोड़कर सही ढंग से सावधानी और सुरक्षा को अपना लिया है वह समय के साथ आगे बढ़ना सीख गये और ऐसे जिन्होंने यह सीख नहीं ली है और अभी भी पुरातनी जीवन पद्धति जिसमें जोखिम भरा है, जी रहे हैं, वह और उनके परिजन वायरस के खतरों से घिरे हुए हैं। यदि समय रहते वह समझ लेंगे तो अच्छा अन्यथा प्रकृति उन्हें उनके खिलंदड़े स्वभाव के लिए सहन नहीं करने वाली है और उन्हें अपने सख्त तरीके से रास्ते पर ले आयेगी या उन्हें छोड़ कर आगे बढ़ जायेगी।
अतः लाकडाउन आज के समय में अनावश्यक हैं। अपनी आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, जीवित रहने के लिए और जीवनचर्या को चलाने के लिए जीविका कमानी पड़ेगी। सरकार हर समय चेरिटी पर नहीं चल पायेगी। इसका अपना कोई भी आय स्त्रोत नहीं है और यह पूरी तरह से हम पर ही निर्भर करती है। लोकतंत्र और मानवीय जीवन सन्तुलन बनाए रखने के लिए हम सब परिश्रम से आय अर्जित करें और स्व निर्भर बनें। कोई भी, कहीं भी किसी को भी हमेशा बिना मतलब के पानी भी नहीं पिलायेगा, मुफ्तखोरी की कोई गुंजाइश नहीं होती है और जिसे यह बात समझ नहीं आयेगी वह समय के साथ धूल का फूल बन जायेगा।
इसलिए कृप्या अपना ध्यान रखें, स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें, भगवान शिव का आशीर्वाद हम सब पर हमेशा बना रहे।
-अरुण अभ्युदय शर्मा
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